Tuesday, November 26, 2024

Lung Cancer in Hindi | DR. Ankur Prakash



DR Ankur Prakash


फेफड़े का कैंसर क्या है?


Lung Cancer in Hindi


फेफड़े का कैंसर एक गंभीर बीमारी है, जिसमें फेफड़ों की कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं। यह आमतौर पर दो प्रकार का होता है:

नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (NSCLC) - यह सबसे सामान्य प्रकार है।
स्मॉल सेल लंग कैंसर (SCLC) - यह तेजी से बढ़ने वाला कैंसर है।

फेफड़े का कैंसर अक्सर प्रारंभिक अवस्था में पहचान में नहीं आता, जिससे इसका इलाज जटिल हो सकता है।

फेफड़े का कैंसर के लक्षण

फेफड़े के कैंसर के सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:

लगातार खांसी, खासकर खून के साथ
सांस लेने में कठिनाई या घरघराहट
छाती में दर्द जो खांसते या सांस लेते समय बढ़ता है
वजन का अचानक कम होना
भूख न लगना
बार-बार फेफड़ों का संक्रमण (निमोनिया या ब्रोंकाइटिस)
आवाज में भारीपन

यदि इनमें से कोई भी लक्षण लंबे समय तक बना रहे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

फेफड़े का कैंसर के कारण

फेफड़े के कैंसर के प्रमुख कारण निम्नलिखित हो सकते हैं:

धूम्रपान - फेफड़े के कैंसर का सबसे बड़ा कारण है।
प्रदूषण - वायु प्रदूषण और खतरनाक रसायनों जैसे ऐस्बेस्टस, रेडॉन गैस आदि के संपर्क में आना।
आनुवंशिकता - परिवार में कैंसर के इतिहास से इसका खतरा बढ़ सकता है।
रेडिएशन - उच्च स्तर की रेडिएशन का एक्सपोजर।
जीवनशैली - अस्वस्थ आहार और शारीरिक गतिविधि की कमी।

ब्रोन्कोजेनिक कार्सिनोमा और इसके प्रकार

ब्रोन्कोजेनिक कार्सिनोमा फेफड़ों के कैंसर का सबसे सामान्य प्रकार है, जो मुख्य रूप से ब्रोंकस (फेफड़ों की वायु नलियां) से उत्पन्न होता है। इसके प्रकार निम्नलिखित हैं:

एडेनोकार्सिनोमा

यह नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (NSCLC) का सबसे सामान्य प्रकार है।
यह फेफड़ों की बाहरी परतों में विकसित होता है।

स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा
यह ब्रोंकस की परतों में विकसित होता है और अक्सर धूम्रपान करने वालों में पाया जाता है।

स्मॉल सेल कार्सिनोमा (SCLC)
यह तेजी से बढ़ता है और अक्सर फेफड़ों से अन्य अंगों में फैलता है।

लार्ज सेल कार्सिनोमा
यह दुर्लभ प्रकार का कैंसर है, जो फेफड़ों के किसी भी हिस्से में हो सकता है।

फेफड़ों के कैंसर के लिए होम्योपैथी उपचार

होम्योपैथी एक वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति है जो व्यक्ति के संपूर्ण स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करती है। फेफड़ों के कैंसर का होम्योपैथी इलाज प्राकृतिक और सुरक्षित उपायों के माध्यम से किया जाता है, जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। हालांकि, यह महत्वपूर्ण है कि आप किसी योग्य चिकित्सा विशेषज्ञ से परामर्श करें और पारंपरिक चिकित्सा के साथ होम्योपैथी उपचार को संयोजित करें। अपनी स्वास्थ्य यात्रा में सही निर्णय लेने के लिए विशेषज्ञ से सलाह लें।

निष्कर्ष:
फेफड़े का कैंसर एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, लेकिन शुरुआती निदान और सही उपचार से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के लिए धूम्रपान से बचें, प्रदूषण के संपर्क को कम करें, और नियमित स्वास्थ्य जांच करवाएं।


Phone:- 91 9997 846 143

Address:- 5, Mohan hotel plaza, Near Kargil Petrol Pump, Sikandra, Agra, Uttar Pradesh 282007

Wednesday, November 20, 2024

Cervical Cancer in Hindi | DR. Ankur Prakash

 


सर्वाइकल कैंसर क्या है?

सर्वाइकल कैंसर, जिसे गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर भी कहा जाता है, महिलाओं में होने वाला एक गंभीर लेकिन रोकथाम योग्य कैंसर है। यह गर्भाशय के निचले हिस्से (ग्रीवा) में विकसित होता है, जो गर्भाशय और योनि को जोड़ता है। यह आमतौर पर असामान्य कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि के कारण होता है, जो समय के साथ कैंसर में बदल सकती हैं।


सर्वाइकल कैंसर का मुख्य कारण ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) संक्रमण है, जो यौन संपर्क के माध्यम से फैलता है। हालांकि, हर HPV संक्रमण कैंसर में नहीं बदलता, लेकिन कुछ विशेष प्रकार (जैसे HPV 16 और 18) इस जोखिम को बढ़ा सकते हैं। नियमित जांच और एचपीवी वैक्सीन लेकर इस बीमारी को आसानी से रोका जा सकता है। अगर शुरुआती अवस्था में इसका निदान हो जाए, तो इसे प्रभावी तरीके से ठीक किया जा सकता है।



सर्वाइकल कैंसर के लक्षण

सर्वाइकल कैंसर के शुरुआती चरणों में कोई स्पष्ट लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, जिससे इसका निदान मुश्किल हो सकता है। जैसे-जैसे यह बढ़ता है, इसके कुछ आम लक्षण निम्नलिखित हैं:


1.असामान्य रक्तस्राव: मासिक धर्म के बीच में या रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) के बाद रक्तस्राव।संभोग के बाद रक्तस्राव।मासिक धर्म के दौरान अत्यधिक या लंबे समय तक रक्तस्राव।


2. योनि से असामान्य स्राव: गाढ़ा, दुर्गंधयुक्त, या हल्का खून मिला हुआ स्राव।


3. श्रोणि (पेल्विक) में दर्द: लगातार या गतिविधियों के दौरान दर्द।

4. पेशाब करते समय दर्द या असुविधा।


5.थकावट और वजन में कमी: बिना किसी कारण तेजी से वजन घटने की समस्या।


6. स लेने में कठिनाई (अग्रसर अवस्था में): अगर इनमें से कोई भी लक्षण लंबे समय तक बने रहें, तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।


सर्वाइकल कैंसर के कारण

सर्वाइकल कैंसर के विकास में कई कारण शामिल हैं। इनमें मुख्य कारण एचपीवी संक्रमण है, लेकिन अन्य कारक भी इसके जोखिम को बढ़ा सकते हैं:


1.एचपीवी संक्रमण (HPV):

यह सर्वाइकल कैंसर का सबसे बड़ा जोखिम कारक है। HPV संक्रमण मुख्य रूप से असुरक्षित यौन संपर्क के माध्यम से फैलता है।


2.धूम्रपान:

धूम्रपान से शरीर की कोशिकाओं को नुकसान होता है, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।


3.कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली:

एचआईवी, एड्स, या अन्य संक्रमणों से इम्यून सिस्टम कमजोर होने पर शरीर संक्रमण और कैंसर के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है।


4.गर्भनिरोधक गोलियों का लंबे समय तक उपयोग:

लंबे समय तक गर्भनिरोधक गोलियों का उपयोग करने से गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर होने का जोखिम बढ़ सकता है।



5.कई यौन साझेदार:

यौन साझेदारों की संख्या अधिक होने से एचपीवी संक्रमण का खतरा बढ़ता है।


6.अनुवांशिक कारण:

अगर परिवार में किसी को सर्वाइकल कैंसर हुआ है, तो इसके विकास का जोखिम बढ़ जाता है।


7.खराब यौन और प्रजनन स्वास्थ्य:

समय-समय पर जांच और साफ-सफाई का ध्यान न रखने से भी संक्रमण और कैंसर का खतरा बढ़ता है।


गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के प्रकार

सर्वाइकल कैंसर को मुख्य रूप से दो प्रमुख प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है:


स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (Squamous Cell Carcinoma):


  • यह सर्वाइकल कैंसर का सबसे सामान्य प्रकार है, जो गर्भाशय ग्रीवा की बाहरी परत (स्क्वैमस कोशिकाओं) में विकसित होता है।


  • यह लगभग 70-80% मामलों में देखा जाता है।

एडेनोकार्सिनोमा (Adenocarcinoma):


  • यह कैंसर ग्रीवा की ग्रंथियों (ग्लैंड्स) में होता है, जो स्राव पैदा करती हैं।


  • यह स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा की तुलना में दुर्लभ है लेकिन तेजी से बढ़ सकता है।

मिश्रित कार्सिनोमा (Mixed Carcinoma):


यह स्क्वैमस सेल और एडेनोकार्सिनोमा दोनों का मिश्रण होता है।


अन्य दुर्लभ प्रकार:


  • न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर।

  • स्मॉल सेल कैंसर।



सर्वाइकल कैंसर को रोकने के उपाय

सर्वाइकल कैंसर को रोकने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं:


  1. एचपीवी वैक्सीन:

HPV वैक्सीन सर्वाइकल कैंसर से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है। इसे किशोरावस्था में या शुरुआती उम्र में लगाया जाना चाहिए।

  1. नियमित जांच (पैप स्मीयर टेस्ट):

पैप स्मीयर और एचपीवी टेस्ट के माध्यम से असामान्य कोशिकाओं का पता लगाना और उनका समय पर इलाज करना महत्वपूर्ण है।

  1. सुरक्षित यौन संबंध:

असुरक्षित यौन संबंधों से बचना और यौन संबंधों के दौरान सुरक्षा का उपयोग करना।

  1. धूम्रपान छोड़ें:

धूम्रपान से बचाव करना शरीर को संक्रमण और कैंसर से बचाने में मदद करता है।

  1. स्वस्थ जीवनशैली अपनाना:

संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, और तनाव मुक्त जीवन जीने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है।


उपचार के विकल्प

सर्वाइकल कैंसर का उपचार उसकी स्टेज और मरीज की स्थिति पर निर्भर करता है। आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले उपचार विकल्प हैं:


  1. सर्जरी: शुरुआती चरणों में ग्रीवा के कैंसर को हटाने के लिए सर्जरी की जाती है।

  2. रेडियोथेरेपी: कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए उच्च-ऊर्जा विकिरण का उपयोग किया जाता है।

  3. कीमोथेरेपी: दवाओं के माध्यम से कैंसर कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है।

  4. इम्यूनोथेरेपी: इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए यह उपचार दिया जाता है।


निष्कर्ष

सर्वाइकल कैंसर एक गंभीर लेकिन रोके जाने योग्य बीमारी है। नियमित जांच, एचपीवी वैक्सीन, और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर इसे काफी हद तक रोका जा सकता है। अगर शुरुआती चरणों में इसका पता लगाया जाए, तो इसका इलाज संभव है। महिलाओं को इस बीमारी के लक्षणों और कारणों के बारे में जागरूक होना चाहिए और समय-समय पर डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। जागरूकता ही सबसे बड़ा बचाव है।


Tuesday, November 12, 2024

ब्लड कैंसर (रक्त कैंसर) के लक्षण​ in Hindi

 


ब्लड कैंसर क्या है?

ब्लड कैंसर, जिसे रक्त कैंसर भी कहा जाता है, एक प्रकार का कैंसर है जो शरीर के रक्त, अस्थि-मज्जा (बोन मैरो) और लिम्फ नोड्स को प्रभावित करता है। इसमें शरीर की रक्त कोशिकाओं का उत्पादन और कार्यक्षमता असामान्य हो जाती है, जिससे शरीर में खून का बहाव और रोग प्रतिरोधक क्षमता पर असर पड़ता है। ब्लड कैंसर के कारण रक्त में श्वेत रक्त कोशिकाओं, लाल रक्त कोशिकाओं या प्लेटलेट्स का असामान्य स्तर हो जाता है, जिससे संक्रमण, थकान और रक्तस्राव की समस्याएं होती हैं।



रक्त कैंसर के प्रकार

  • ल्यूकेमिया: यह कैंसर रक्त और अस्थि-मज्जा में होता है, जिसमें सफेद रक्त कोशिकाओं का अत्यधिक उत्पादन होता है।


  • लिंफोमा: यह कैंसर लिम्फेटिक प्रणाली में विकसित होता है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली का हिस्सा है। लिंफोमा मुख्य रूप से लिम्फ नोड्स और अन्य अंगों में होता है।


  • मायलोमा: यह कैंसर प्लाज्मा कोशिकाओं में होता है, जो एंटीबॉडी बनाने में सहायक होते हैं। यह अस्थि-मज्जा में होने वाला कैंसर है और इम्यून सिस्टम को प्रभावित करता है।


रक्त कैंसर के कारण

ब्लड कैंसर के मुख्य कारण पूरी तरह से ज्ञात नहीं हैं, लेकिन कुछ संभावित कारण निम्नलिखित हैं:


  • जेनेटिक म्यूटेशन: अनुवांशिक बदलाव, जिनमें कुछ आनुवांशिक म्यूटेशन शामिल होते हैं।


  • रेडिएशन एक्सपोजर: अत्यधिक विकिरण के संपर्क में आना।


  • रासायनिक तत्वों के संपर्क में आना: कुछ रसायनों, जैसे कि बेंजीन का संपर्क।


  • अनुवांशिक कारक: परिवार में ब्लड कैंसर के इतिहास से प्रभावित होना।


  • वायरल संक्रमण: कुछ वायरस जैसे एचआईवी और एचटीएलवी।


रक्त कैंसर के लक्षण

  • लगातार थकान और कमजोरी

  • बुखार या ठंड लगना

  • त्वचा पर रक्त के धब्बे या ब्लीडिंग

  • हड्डियों और जोड़ों में दर्द

  • वजन कम होना और भूख में कमी

  • अधिक पसीना आना, विशेषकर रात में

  • लिम्फ नोड्स में सूजन (गर्दन, बगल और कमर में)


रक्त कैंसर का इलाज

ब्लड कैंसर का इलाज मुख्य रूप से कैंसर के प्रकार, चरण, और रोगी की स्थिति पर निर्भर करता है। कुछ प्रमुख उपचार विधियाँ निम्नलिखित हैं:


  • कीमोथेरेपी: इसमें दवाओं के माध्यम से कैंसर कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है।


  • रेडियोथेरेपी: कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए विकिरण का उपयोग किया जाता है।


  • स्टेम सेल ट्रांसप्लांट: अस्थि-मज्जा में स्वस्थ स्टेम सेल्स का प्रत्यारोपण किया जाता है, जो नए रक्त कोशिकाएं बनाते हैं।


  • टार्गेटेड थेरेपी: इस थेरेपी में कैंसर कोशिकाओं के विशेष प्रकार के मॉलिक्यूल्स को निशाना बनाया जाता है।


  • इम्यूनोथेरेपी: यह थेरेपी शरीर की इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद करती है ताकि वह कैंसर कोशिकाओं से लड़ सके।


ब्लड कैंसर के उपचार के लिए प्रारंभिक निदान और विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।


Friday, November 8, 2024

Breast Cancer in Hindi | DR. Ankur Prakash

 

स्तन कैंसर क्या है?


स्तन कैंसर वह स्थिति है जिसमें स्तन की कोशिकाओं में असामान्य रूप से वृद्धि होने लगती है, जिससे वे तेजी से बढ़कर कैंसर का रूप ले लेती हैं। यह कैंसर महिलाओं में सबसे आम है, लेकिन पुरुषों में भी यह हो सकता है। स्तन कैंसर के प्रकार स्तन कैंसर के कई प्रकार होते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख प्रकार इस प्रकार हैं:

  • डक्टल कार्सिनोमा इन सिचू (DCIS)
यह कैंसर स्तन की दूध नलिकाओं में पाया जाता है और आसपास के टिश्यू में नहीं फैलता।
  • इनवेसिव डक्टल कार्सिनोमा (IDC)
यह सबसे सामान्य प्रकार है जो दूध नलिकाओं से निकलकर आसपास के टिश्यू में फैल सकता है।
  • लॉब्युलर कार्सिनोमा इन सिचू (LCIS)
यह कैंसर स्तन की लोब्यूल्स में होता है लेकिन यह एक प्रकार का कैंसर नहीं, बल्कि कैंसर होने की संभावना बढ़ाने वाला संकेत है।
  • इनवेसिव लॉब्युलर कार्सिनोमा (ILC)
यह कैंसर लोब्यूल्स से निकलकर आसपास के टिश्यू में फैलता है।
  • इंफ्लेमेटरी ब्रेस्ट कैंसर
यह एक दुर्लभ प्रकार का कैंसर है जिसमें स्तन में सूजन और लालिमा होती है। Breast Cancer Symptoms in Hindi (स्तन कैंसर के लक्षण) स्तन कैंसर के लक्षणों में शामिल हैं:

1.स्तन या बगल में गांठ का होना 2.स्तन के आकार या आकार में बदलाव 3.स्तन की त्वचा में बदलाव, जैसे लाली या सूजन 4.निप्पल से असामान्य स्राव, खासकर खून का 5.निप्पल के आकार में बदलाव या दर्द 6.स्तन की त्वचा पर गड्ढे पड़ना या संतरे के छिलके जैसा दिखना

अगर इनमें से कोई भी लक्षण नज़र आए तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें। स्तन कैंसर का होम्योपैथी इलाज स्तन कैंसर का होम्योपैथी इलाज एक प्राकृतिक और सुरक्षित विकल्प के रूप में जाना जाता है, जिसमें शरीर की स्वाभाविक प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने पर जोर दिया जाता है। होम्योपैथी के उपचार में प्राकृतिक औषधियाँ दी जाती हैं, जो मरीज की शारीरिक और मानसिक स्थिति के अनुसार चुनी जाती हैं। यह उपचार दर्द, सूजन और अन्य लक्षणों को कम करने में सहायक होता है, जिससे मरीज को आराम और संतुलन मिलता है। स्तन कैंसर का होम्योपैथी इलाज रोगी के संपूर्ण स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए किया जाता है, जिससे जीवन की गुणवत्ता में सुधार आ सके और कैंसर से लड़ने में शरीर को अतिरिक्त सहारा मिले।

निष्कर्ष स्तन कैंसर एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, लेकिन समय पर निदान और उपचार से इसका प्रभावी ढंग से सामना किया जा सकता है। विभिन्न प्रकार के स्तन कैंसर को समझना और उनके लक्षणों के प्रति जागरूक रहना आवश्यक है, ताकि प्रारंभिक चरण में ही इसका पता लगाया जा सके। होम्योपैथी, एक वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली के रूप में, प्राकृतिक और व्यक्तिगत उपचार का विकल्प प्रदान करती है जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर कैंसर से लड़ने में मदद कर सकती है। हालांकि, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि किसी भी प्रकार के उपचार से पहले विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें। सही जानकारी, नियमित जांच, और सजगता से स्तन कैंसर के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है और रोगी एक स्वस्थ जीवन की ओर कदम बढ़ा सकते हैं।












Wednesday, November 6, 2024

Best cancer Doctor in India | Cancer Specialist in India

 


Who is a Cancer Doctor or Oncologist?

A cancer doctor, or oncologist, is a medical specialist who diagnoses, treats and manages cancer patients. They use a variety of medical, surgical, and therapeutic approaches tailored to each patient’s condition.

Importance of an Oncologist: Oncologists play a crucial role in developing personalized treatment plans, tracking progress, and helping patients navigate the challenges of cancer treatment. In India, several of the best cancer doctors are renowned for their expertise and compassionate care.


Types of Cancer Doctor

1. Medical Oncologist:

  • Role: Focuses on treatments like chemotherapy, immunotherapy, and targeted therapies to combat cancer.

  • Key Expertise: Works closely with patients to administer drug-based treatments that manage and slow down cancer progression.

2. Surgical Oncologist:

  • Role: Specializes in surgically removing tumors and performing biopsies to diagnose cancer.

  • Key Expertise: Critical in early-stage cancer treatments and often collaborates with other specialists for comprehensive care.

3. Radiation Oncologist:

  • Role: Uses radiation therapy to target and destroy cancer cells.

  • Key Expertise: Particularly skilled in planning precise radiation doses to minimize damage to healthy tissues.

4.Pediatric Oncologist:

  • Role: Focuses on treating children with cancer, addressing unique needs in pediatric oncology.

  • Key Expertise: Manages both the physical and emotional aspects of cancer in younger patients.

5.Hematologist-Oncologist:

  • Role: Specializes in blood cancers like leukemia, lymphoma, and myeloma.

  • Key Expertise: Combines knowledge of blood disorders and cancer to provide targeted therapies for blood-related malignancies.

  Treatments of Cancer

  • Chemotherapy:
    Overview: Uses strong medications to destroy rapidly dividing cancer cells. Chemotherapy is widely used for various types of cancer, often in combination with other treatments.

  • Radiation Therapy:
    Overview: Employs high-energy rays to target and eliminate cancer cells, often used to shrink tumors before surgery or to manage pain.

  • Surgery:
    Overview: Surgical removal of tumors or affected tissues to prevent cancer spread. This treatment is vital for certain cancer types and stages.

  • Immunotherapy:
    Overview: Boosts the body’s natural defenses to fight cancer cells. It’s particularly effective for cancers that are resistant to other treatments.

  • Hormone Therapy:
    Overview: Used for hormone-sensitive cancers, such as breast and prostate cancer, to slow down cancer growth by reducing hormone levels.

  • Targeted Therapy:
    Overview: Focuses on specific genes or proteins involved in cancer development, offering a more personalized treatment approach.

  • Integrative and Supportive Care:
    Overview: Includes supportive therapies to help manage symptoms and side effects of cancer treatments, such as pain relief and nutritional support.


 Homeopathy Doctors Now Treating Cancer Patients in India

In recent years, homeopathy has emerged as a supportive option for cancer patients in India, with more homeopathy doctors now offering treatments designed to help manage cancer symptoms and improve quality of life. Cancer Treatment in Homeopathy focuses on a holistic approach, aiming to strengthen the body’s natural defenses while reducing side effects from conventional treatments. Many patients are turning to this complementary therapy alongside traditional cancer treatments, finding relief from symptoms like fatigue, pain, and nausea. With growing interest in alternative treatments, homeopathy is playing a valuable role in integrated cancer care across India.

For more information, consult Dr. Ankur Praksh, a cancer specialist based in Agra, who is experienced in using homeopathic approaches in cancer care.



Conclusion: Choosing the Right Cancer Specialist in India

  • Wrap up by emphasizing the importance of choosing the right doctor, whether an oncologist for conventional treatments or a homeopathy doctor for supportive care.

  • Reiterate that consulting specialists like Dr. Ankur Prakash for homeopathy or top oncologists in India can provide patients with a comprehensive and compassionate approach to cancer treatment.



ब्लड कैंसर के मुख्य लक्षण और पहचान के तरीके : DR. Ankur Prakash

  ब्लड कैंसर क्या है? ब्लड कैंसर, जिसे रक्त कैंसर भी कहा जाता है, रक्त, बोन मैरो और लसीका प्रणाली (लिम्फ सिस्टम) से संबंधित कैंसर का एक प्रक...